दहशतगर्दी और डंडे के जोर पर थी यजीद की हुकूमत: मौलाना सलमान हुसैनी नदवी
विश्व में अपनी दुर्दांत आतंकी वारदातों के लिए कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस के कथित सरगना अबू बकर बगदादी को खलीफा स्वीकार कर उसको बधाई संदेश भेजने के बाद विवादों में आए दारुल उलूम नदवातुल उलमा के मौलाना सलमान हुसैनी नद्वी अपने विवादास्पद बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं।
इस बार मौलाना ने एक सवाल के जवाब में माविया को जहां बागी बताया वही उनके पुत्र यजीद की हुकूमत को डंडे और आतंक के जोर पर कायम हुकूमत बता कर सनसनी फैला दी है।
मौलाना सलमान नदवी ने एक वीडियो में यह बात कही की माविया बागी थे और यजीद ने डंडे के जोर पर अपनी हुकूमत कायम की थी।
मौलाना सलमान हुसैनी नदवी का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी हुआ है, जिसमें एक सवाल के जवाब में उन्होंने माविया के बागी होने और यजीद की हुकूमत को डंडे के जोर पर दहशतगर्दी की हुकूमत करार दिया है।
उन्होंने कहा कि माविया बागी थे और तमाम मोहद्दसीन ने इस बात पर इत्तेफाक किया है। वहीं यजीद की हुकूमत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यजीद की हुकूमत दहशतगर्दी की हुकूमत थी। यजीद में हुकूमत की अहलियत नहीं थी। जिसने यजीद की बैयत की मजबूरी में की और जिसने जंग की उसी ने सही रास्ता अख्तियार किया।
उन्होंने कहा कि रसूल का इरशाद है कि जो ऐसे को खलीफा बनाए, जिससे बेहतर उम्मत में मौजूद हो तो उसने अल्लाह, रसूल और मोमिनीन से ख्यानत की। यजीद एक फासिक बेटा था, जो बागी कहलाने का भी मुस्तहक नहीं है। यजीद के दौर में बड़े-बड़े जलीलुलकद्र सहाबा मौजूद थे।
उन्होंने हजरत हसन की सुलह को मजबूरी की सुलह बताते हुए कहा कि वे तो जंग के लिए निकले थे और उनके साथी भी जंग चाहते थे, लेकिन हजरत हसन की तबियत में नरमी थी, जिस वह नहीं चाहते थे कि खून-खराबा हो इसलिए उन्होंने माविया से सुलह की। सुलह में तय हुआ कि माविया के बाद खिलाफत हजरत हसन को मिलेगी। माविया ने सुलह पर अमल नहीं किया।
मौलाना सलमान नदवी ने कहा कि हजरत अली के बाद हजरत हसन खलीफा रहे, लेकिन माविया ने अपने वादे पर अमल नहीं किया और उसमें ख्यानत हुई। इसी के साथ मौलाना ने गदीरे खुम के मैदान में रसूल के खुतबे का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने हजरत अली को अपना जानशीन, वली (उत्तराधिकारी) घोषित किया था और सबने उसे स्वीकार किया था।
फिर आया वज़हती बयान: